राजधानी के रेलवे स्टेशनों से धुला नहीं दाग

राजधानी के रेलवे स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने की बात और इस दिशा में काम करने के दावे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन प्रत्येक वर्ष स्वच्छता सर्वे में इसकी पोल खुल जाती है। एक बार फिर राजधानी के रेलवे स्टेशन गंदगी का दाग धुलने में नाकामयाब साबित हुए हैं। देश के अन्य स्टेशनों की तुलना में राजधानी के स्टेशन स्वच्छता सर्वे में काफी पीछे हैं। आनंद विहार को छोड़ दें तो यहां का कोई भी रेलवे स्टेशन देश के सबसे साफ सौ स्टेशनों में जगह बनाने में कामयाब नहीं हुआ है। पिछले दो वर्षो से आनंद विहार टर्मिनल पांचवें पायदान पर काबिज था, लेकिन इस बार वह भी पिछड़कर 26 वें स्थान पर पहुंच गया है।


नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को वर्षो से विश्वस्तरीय बनाने का सपना दिखाया जा रहा है, लेकिन स्वच्छता श्रेणी में यह एनसीआर के अन्य स्टेशनों से भी पिछड़ गया है। 611 स्टेशनों की सूची में यह 165वें स्थान पर है। इस महत्वपूर्ण स्टेशन से वंदे भारत के साथ ही अधिकांश राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस चलती हैं। केंद्रीय मंत्री से लेकर अन्य वीआइपी यहां से सफर करते हैं। इसके बावजूद यहां प्लेटफॉर्म नंबर एक और 16 तो साफ सुथरा दिखता है, लेकिन अन्य प्लेटफॉर्म पर सफाई की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।


पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन की दशा सुधारने के लिए पिछले लगभग ढाई वर्षो से काम चल रहा है। मुख्य इमारत को नया रूप देने के साथ ही स्टेशन परिसर में काफी कुछ बदलाव किया गया है। बेहतर पर्यावरण प्रबंधन के लिए इसे आइएसओ प्रमाण पत्र भी मिला है, जिससे इसकी स्वच्छता रैंकिंग में सुधार होने की उम्मीद थी। इसके विपरीत इसका प्रदर्शन दिल्ली के बड़े स्टेशनों में सबसे खराब रहा है। स्वच्छता रैंकिंग में यह 390 नंबर पर है। इसका मुख्य कारण स्टेशन के दोनों प्रवेश द्वार पर फैली हुई गंदगी है।


पुरानी दिल्ली की तरह हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन को भी आइएसओ प्रमाण पत्र मिला है, लेकिन स्वच्छता रैंकिंग में इसका प्रदर्शन भी निराश करने वाला है। यह 241 नंबर पर है, जबकि यहां से देश की सबसे तेज रफ्तार ट्रेन गतिमान का संचालन होता है। अगस्त क्रांति राजधानी सहित पश्चिम व दक्षिण दिल्ली की ओर जाने वाली कई महत्वपूर्ण ट्रेनें यहां से चलती हैं, बावजूद इसके साफ सफाई में यह स्टेशन पिछड़ रहा है। स्वच्छता रैंकिंग में इसके पिछड़ने का सबसे मुख्य कारण सराय काले खां की ओर स्थित स्टेशन की इमारत और प्रवेश द्वार है। कम जगह होने के कारण इस ओर से आने वाले यात्रियों को परेशानी होने के साथ ही साफ-सफाई में भी दिक्कत होती है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि नगर निगम से जमीन नहीं मिलने के कारण इसमें सुधार नहीं हो सका है।